What Does Ganpatichi Aarti Lyrics marathi Mean?

वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं

भक्त संकटिं नानास्वरूपीं स्थापिसि स्वधर्म ॥ ध्रु० ॥

तू सुखकर्ता तु दु:खहर्ता । विघ्नविनाशक मोरया संकटी रक्षी शरण तुला मी ।

अंग स्वच्छ करुनि तुजला पीतांबर दिधला।

कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय ।

यादवसुत हा विनवी दोन्ही जोडूनियां कर॥

तुझिया स्मरणे जाति पातके पार्वतीनंदना ॥

मागणे हेचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ।। आ०।। get more info ६ ।।

सुरपति ब्रह्म परात्पर सच्चिंद्धन सुखदा॥

चुकले आमचे काही check here त्याची क्षमा असावी ॥८॥

संकटी रक्षी शरण तुला मी । click here गणपतीबाप्पा मोरया ।। ध्रु ।।

गणनायकाय गणदैवताय गणाध्यक्षाय धीमहि।

गणराया हे माझ्या ह्रदयाला ॥ ओवाळु आरती तव पायां ॥ धृ ॥

कृष्ण तुझा चांडाळ येऊनि धरी अमुचा हस्त ।

The Ultimate Guide To Ganpatichi Aarti Lyrics marathi

गोपी जाऊनि यशोदेपाशी सांगती वृत्तांत ।

मत्स्यरूपी नारायण सप्तहि सागर धुंडीसी ।

निशिदिनि जे भजति तुला तारिं त्यांप्रती। 

शुक्रवारी दान वगैरेचेही विशेष महत्त्व आहे. श्रीदत्त क्षेत्र नृसिंहवाडी

तव पद वंदित मौनी दास अभेदेची॥जय देव.॥५॥

ज्ञानदीप उजळुनी आमुचा । निमवी नैराश्याला ।। २ ।।

श्री गजाननाची आरती – जय श्रीगणेशा गणपति देवा

विठ्ठलसुत लीन website पदीं Ganpatichi Aarti Lyrics marathi विघ्ननाशना। वक्रतुंड एकदंत॥२॥

सर्व समर्पण केलं म्हणुनी प्रसन्न त्या होसी ।

प्रतिक्रिया व्यक्त करा उत्तर रद्द करा.

संकटी रक्षी शरण तुला मी । गणपतीबाप्पा मोरया ।। ध्रु ।।

सांख्य म्हणती प्रकृती निर्गुण निर्धारी

सिद्धीऋद्धीबुद्धीचा भुक्तिमुक्तींचा दाता॥

गणपतीची here आरती मराठी सुखकर्ता दुखहर्ता

Detailed Notes on Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi

छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

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मान्यता के अनुसार जब कोई हनुमान भक्त हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करता है, तो ऐसे में भक्त को हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे जरुर मिलते हैं जो इस प्रकार हैं:-

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: हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए मंगलवार का दिन सबसे अधिक शुभ माना जाता है, ऐसे में आपको मंगलवार के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठने के पश्चात स्नान कर साफ कपडे पहनने चाहिए।



राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

It can be explained with no reservation that Tulsidas is the greatest poet to write down inside the Hindi language. Tulsidas more info was a Brahmin by delivery and was believed to become a reincarnation from the writer from the Sanskrit Ramayana, Valmiki.

You assumed an extremely moment form and appeared to Sita in the Ashok Vatika. You assumed an extremely big and Terrifying kind and burnt the town of Lanka.[53]

Rambhadracharya comments that the phrase bhīma is undoubtedly an allusion on the function during the Mahabharata when Hanuman confirmed exactly the same scary kind to Bhima.[54]

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क्यों है हनुमान चालीसा सबसे शक्तिशाली भजन ।

Not known Factual Statements About Aise Kyun Lyrics in Hindi

रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,

जिसके पीछे था मैं पागल, हा न मिली वह मधुशाला!।९०।

भर लो, भर लो, भर लो इसमें, यौवन मधुरस की हाला,

क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला,

अंधकार है मधुविक्रेता, सुन्दर साकी शशिबाला

साम्यवाद की प्रथम प्रचारक है यह मेरी मधुशाला।।५९।

मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,

छलक रही है जिसमंे माणिक रूप मधुर navigate here मादक हाला,

साकी बन आती है प्रातः जब अरुणा ऊषा बाला,

यज्ञ अग्नि सी धधक रही है मधु की भटठी की ज्वाला,

अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,

सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला,

क्या जीना, निरंिचत न जब तक साथ रहे साकीबाला,

उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ,

5 Easy Facts About Aise Kyun Lyrics Described

सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,

पर मै वह रोगी हूँ जिसकी एक दवा है मधुशाला।।७८।

मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला।।६७।

जिस साकी के पीछे मैं था दीवाना, न मिला साकी,

कानो में तुम कहती रहना, मधु का प्याला मधुशाला।।८१।

अथक बनू मैं पीनेवाला, खुले प्रणय की मधुशाला।।६३।

गौरव भूला, आया कर में जब से मिट्टी का प्याला,

तारक-मणि-मंडित चादर दे मोल धरा लेती हाला,

स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।

पथिक, प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला।८०।

वादक बन मधु का विक्रेता more info लाया सुर-सुमधुर-हाला,

हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,

डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,

पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला,

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